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कौन बनेगा भारत का नया राष्ट्रपति, जानिए यहां p10news.


 मंदीप एम गोरडवार मुख्य संपादक (EDITER IN CHIF)


 नई दिल्ली- 12जून. राष्ट्रपति चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए किसे अपना उम्मीदवार बनाती है. शीर्ष संवैधानिक पद के लिए यदि विपक्षी दल अपना उम्मीदवार उतारते हैं और चुनाव होता है तो भाजपा अपने सहयोगियों के समर्थन से बेहतर स्थिति में नजर आ रही है. निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीख 18 जुलाई निर्धारित की है और यदि एक से अधिक उम्मीदवार मैदान में होंगे तो फिर मतदान कराया जाएगा.

राष्ट्रपति चुनाव में किस गठबंधन का उम्मीदवार जीतेगा, इससे अधिक राजनीतिक विमर्श का विषय यह है कि सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी गठबंधन अपना उम्मीदवार किसे बनाते हैं. उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत ने पार्टी को और अच्छी स्थिति में ला दिया है. इनमें सबसे अहम उत्तर प्रदेश है क्योंकि यहां के हर विधायक के मत का मूल्य अन्य राज्यों के विधायकों की तुलना में सर्वाधिक है.

वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले को देखा जाए तो भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगियों के विधायकों में संख्या में कमी आई है लेकिन उसके सांसदों की संख्या में वृद्धि हुई है. भाजपा के एक नेता ने कहा कि सत्ताधारी राजग के पास निर्वाचक मंडल के लगभग 50% मत हैं. उनके मुताबिक राजग को आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा के बीजू जनता दल (बीजद) जैसे गैर-राजग और गैर-संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (गैर-संप्रग) क्षेत्रीय दलों का साथ मिलने की उम्मीद है. भाजपा (BJP) यह मानकर चल रही है कि तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सहयोगी रहे अन्नाद्रमुक का भी उसे समर्थन मिलेगा. इस गुणा-गणित के बीच, राजनीतिक हलकों से लेकर सोशल मीडिया पर ‘राष्ट्रपति कौन होना चाहिए’ को लेकर एक चर्चा शुरु हो गई. इन चर्चाओं, विशेषकर सोशल मीडिया में उम्मीदवार के रूप में जिन नेताओं या हस्तियों के नाम की चर्चा सबसे अधिक है उनमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से लेकर फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन तक शामिल हैं. ट्विटर (Twitter) पर कुछ लोगों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली दो बार की विधायक व एक बार राज्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुकीं और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूईया उइके तो कुछ ने रतन टाटा और कुछ ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के नाम भी सुझाया है.

पिछला राष्ट्रपति चुनाव 2017 में 17 जुलाई को हुआ था और मतगणना 20 जुलाई को हुई थी. रामनाथ कोविंद ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था. कोविंद की उम्मीदवारी की घोषणा से पहले राजनीतिक गलियारों में कई नामों की चर्चा जोरों पर थी लेकिन जब तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद उनके नाम की घोषणा की थी तो सभी आश्चर्य में पड़ गए थे. केंद्र में सत्ता में आने के बाद विभिन्न मौकों पर नेता के चयन में भाजपा नेतृत्व ने चौंकाने वाले फैसले किए हैं. राष्ट्रपति के रूप में कोविंद के चयन को कभी भी भाजपा के हिन्दुत्व के विमर्श को आगे बढ़ाने के रूप में नहीं देखा गया बल्कि उस वक्त उसे इस रूप में देखा गया था कि भाजपा ने समाज के एक वंचित व पिछड़े वर्ग के लोगों का दिल जीतने के एक महत्वाकांक्षी अभियान के तहत उनके नाम को आगे बढ़ाया था. इसके बाद हुए चुनावों में भाजपा को लगातार मिली सफलता भी यह दर्शाती है कि वह समाज के उन वर्गों की एक बड़ी संख्या को अपनी ओर करने में सफल भी रही है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार (Candidates) के चयन में भाजपा अपने मुख्य वैचारिक मुद्दों को तरजीह देती है या फिर ऐसे व्यक्ति का चयन करती है जो उसके चुनावी गणित में फिट बैठता हो, या फिर वह उम्मीदवार उसके प्रमुख समर्थकों में हो या फिर वह किसी नए समूह में पार्टी की पैठ को मजबूत करने से प्रेरित हो.

लंबे समय से ये अटकलें हैं कि भाजपा इस बार जनजातीय समुदाय से किसी व्यक्ति को या फिर किसी महिला को अपना उम्मीदवार बना सकती है. वैसे भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उम्मीदवारों के चयन के मामले में परंपरा के विपरित भी फैसले लेता रहा है. हो सकता है कि वह कोविंद को ही पुन: इस पद के लिए आगे कर दें लेकिन दस्तूर यह भी रहा है कि देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को छोड़कर किसी भी राष्ट्रपति का दो कार्यकाल नहीं रहा है. भाजपा के सूत्रों ने कहा कि उसके वरिष्ठ नेता विपक्ष सहित सभी दलों से संपर्क करेंगे ताकि शीर्ष संवैधानिक पद के लिए आम सहमति बन सके. मौजूदा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भाजपा के कुल 392 सांसद हैं. इनमें राज्यसभा के चार मनोनीत सदस्य शामिल नहीं हैं क्योंकि वे राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में मतदान नहीं कर सकते. दोनों सदनों के वर्तमान में कुल 772 सदस्यों में, भाजपा के पास बहुमत है. चूंकि लोकसभा में अभी तीन और राज्यसभा में 13 सीट खाली हैं, लिहाजा चुनाव की तारीख तक इन आकंड़ों में बदलाव होना लाजिमी है. सांसदों के मतों के मामले में भाजपा की स्थिति संसद में और मजबूत हो जाती है जबकि जनता दल यूनाईटेड (21 सांसद), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल और पूर्वोत्तर के कई अन्य सहयोगी दलों के मत जुड़ जाएंगे.

चुनाव की घोषणा के कुछ घंटे के भीतर ही आरिफ मोहम्मद खान का नाम भारत में ट्विटर पर 10 शीर्ष में ट्रेंड करने लगा. ट्विटर उपयोगकर्ता रिटायर्ड मेजर अमित बंसल ने एक ट्वीट में कहा, ‘निजी तौर पर मेरा मानना है कि राष्ट्रपति पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) हैं. मैं उन्हीं के शहर से आता हूं और उन्हें जानता हूं, इसलिए दावे के साथ कह सकता हूं. भारत उनकी रगों में दौड़ता है. भारत उनके दिमाग में छाया रहता है और वह एक सच्चे देशभक्त हैं, जो देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है.’ कुछ ट्विटर उपयोगकर्ता ने यहां तक लिखा कि खान को राष्ट्रपति बनाया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और ‘मास्टर स्ट्रोक’ होगा. ऐसे ही एक उपयोगकर्ता ने लिखा कि इससे भाजपा पर मुस्लिम विरोधी (Anti Muslim) होने की छवि में सुधार आएगा और पैगंबर मोहम्मद को लेकर हाल ही में भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा की गई टिप्पणी से दुनिया भर में उपजी नाराजगी को बहुत हद तक कम किया जा सकेगा.


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